कुबेर: Difference between revisions
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<p id="1">(1) धान्यपुर क वणिक् । इसकी सुदत्ता नाम की पत्नी और उससे उत्पन्न नागदत्त नाम का पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 8.230-231 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) धान्यपुर क वणिक् । इसकी सुदत्ता नाम की पत्नी और उससे उत्पन्न नागदत्त नाम का पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 8.230-231 </span></p> | ||
<p id="2">(2) रत्नपुर नामक नगर का निवासी वैश्य और कुबेरदत्त का पिता । <span class="GRef"> महापुराण 67.90-94 </span></p> | <p id="2">(2) रत्नपुर नामक नगर का निवासी वैश्य और कुबेरदत्त का पिता । <span class="GRef"> महापुराण 67.90-94 </span></p> | ||
<p id="3">(3) नंदीश्वर-द्वीप का निवासी एक निधीश्वर । <span class="GRef"> महापुराण 72.33 </span></p> | <p id="3">(3) नंदीश्वर-द्वीप का निवासी एक निधीश्वर । <span class="GRef"> महापुराण 72.33 </span></p> | ||
<p id="4">(4) धन-संपदा का स्वामी देव । तीर्थंकरों के गर्भ में आते ही यह उनके जन्म के पूर्व और बाद में भी रत्नवृष्टि करता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 2.52, 74, </span>हपू0 1.99</p> | <p id="4">(4) धन-संपदा का स्वामी देव । तीर्थंकरों के गर्भ में आते ही यह उनके जन्म के पूर्व और बाद में भी रत्नवृष्टि करता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 2.52, 74, </span>हपू0 1.99</p> | ||
<p id="5">(5) राजा किंसूर्य और उनकी भार्या कनकावली का पुत्र । यह कांचनपुर नगर की उत्तरदिशा में इंद्र विद्याधर द्वारा नियुक्त लोकपाल होता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 7.112-113 </span></p> | <p id="5">(5) राजा किंसूर्य और उनकी भार्या कनकावली का पुत्र । यह कांचनपुर नगर की उत्तरदिशा में इंद्र विद्याधर द्वारा नियुक्त लोकपाल होता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 7.112-113 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
- अरहनाथ भगवान का शासक यक्ष–देखें तीर्थंकर - 5.3।
- देखें लोकपालदेव ।
पुराणकोष से
(1) धान्यपुर क वणिक् । इसकी सुदत्ता नाम की पत्नी और उससे उत्पन्न नागदत्त नाम का पुत्र था । महापुराण 8.230-231
(2) रत्नपुर नामक नगर का निवासी वैश्य और कुबेरदत्त का पिता । महापुराण 67.90-94
(3) नंदीश्वर-द्वीप का निवासी एक निधीश्वर । महापुराण 72.33
(4) धन-संपदा का स्वामी देव । तीर्थंकरों के गर्भ में आते ही यह उनके जन्म के पूर्व और बाद में भी रत्नवृष्टि करता है । पद्मपुराण 2.52, 74, हपू0 1.99
(5) राजा किंसूर्य और उनकी भार्या कनकावली का पुत्र । यह कांचनपुर नगर की उत्तरदिशा में इंद्र विद्याधर द्वारा नियुक्त लोकपाल होता है । पद्मपुराण 7.112-113