केवल: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
Priyanka2724 (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> | <span class="GRef"> मोक्षपाहुड़/ </span>टी./6/308/13 <span class="SanskritText">केवलोऽसहाय: केवलज्ञानमयो वा के परब्रह्मनि निजशुद्धबुद्धैकस्वभावे आत्मनि बलमनंतवीर्य यस्य स भवति केवल:, अथवा केवते सेवते निजात्मनि एकलोलीभावेन तिष्ठतीति केवल:।</span>=<span class="HindiText">केवल का अर्थ असहाय या केवलज्ञानमय है। अथवा ‘क’ का अर्थ परब्रह्म या शुद्ध बुद्धरूप एक स्वभाववाला आत्मा है उसमें है बल अर्थात् अनंतवीर्य जिसके। अथवा जो केवते अर्थात् सेवन करता है–अपनी आत्मा में एकलोलीभाव से रहता है वह केवल है। </span> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 8: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: क]] | [[Category: क]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Revision as of 20:22, 29 August 2022
मोक्षपाहुड़/ टी./6/308/13 केवलोऽसहाय: केवलज्ञानमयो वा के परब्रह्मनि निजशुद्धबुद्धैकस्वभावे आत्मनि बलमनंतवीर्य यस्य स भवति केवल:, अथवा केवते सेवते निजात्मनि एकलोलीभावेन तिष्ठतीति केवल:।=केवल का अर्थ असहाय या केवलज्ञानमय है। अथवा ‘क’ का अर्थ परब्रह्म या शुद्ध बुद्धरूप एक स्वभाववाला आत्मा है उसमें है बल अर्थात् अनंतवीर्य जिसके। अथवा जो केवते अर्थात् सेवन करता है–अपनी आत्मा में एकलोलीभाव से रहता है वह केवल है।