क्षायिक सम्यक्त्व: Difference between revisions
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<p> नौ क्षायिक-शुद्धियों में तीसरी क्षायिक-शुद्धि । यह दर्शनमोहनीय कर्म के क्षय से उत्पन्न होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3. 144 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> नौ क्षायिक-शुद्धियों में तीसरी क्षायिक-शुद्धि । यह दर्शनमोहनीय कर्म के क्षय से उत्पन्न होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3. 144 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
देखें सम्यग्दर्शन ।
पुराणकोष से
नौ क्षायिक-शुद्धियों में तीसरी क्षायिक-शुद्धि । यह दर्शनमोहनीय कर्म के क्षय से उत्पन्न होती है । हरिवंशपुराण 3. 144