गिरि: Difference between revisions
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<p id="1">(1) लोभी बटुक । इसे और नैषिक ग्रामवासी इसके साथी गौभूति को राजा सूर्यदेव की रानी मतिप्रिया ने भात से ढककर स्वर्ण का दान किया या । यह जान लेने पर इसने लोभाकृष्ट होकर अपने साथी गोभूति को मार दिया और सारे स्वर्ण को स्वयं ले लिया था । पद्मपुराण 55.57-59</p> | <p id="1">(1) लोभी बटुक । इसे और नैषिक ग्रामवासी इसके साथी गौभूति को राजा सूर्यदेव की रानी मतिप्रिया ने भात से ढककर स्वर्ण का दान किया या । यह जान लेने पर इसने लोभाकृष्ट होकर अपने साथी गोभूति को मार दिया और सारे स्वर्ण को स्वयं ले लिया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 55.57-59 </span></p> | ||
<p id="2">(2) हरिवंशी राजा वसुगिरि का पुत्र । हरिवंशपुराण 15.59</p> | <p id="2">(2) हरिवंशी राजा वसुगिरि का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 15.59 </span></p> | ||
<p id="3">(3) अचल के सात पुत्रों में चौथा पुत्र । हरिवंशपुराण 48.49</p> | <p id="3">(3) अचल के सात पुत्रों में चौथा पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.49 </span></p> | ||
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Revision as of 21:40, 5 July 2020
(1) लोभी बटुक । इसे और नैषिक ग्रामवासी इसके साथी गौभूति को राजा सूर्यदेव की रानी मतिप्रिया ने भात से ढककर स्वर्ण का दान किया या । यह जान लेने पर इसने लोभाकृष्ट होकर अपने साथी गोभूति को मार दिया और सारे स्वर्ण को स्वयं ले लिया था । पद्मपुराण 55.57-59
(2) हरिवंशी राजा वसुगिरि का पुत्र । हरिवंशपुराण 15.59
(3) अचल के सात पुत्रों में चौथा पुत्र । हरिवंशपुराण 48.49