चन्द्रप्रज्ञप्ति
From जैनकोष
दृष्टिवाद अग के पाँच भेदों मे से परिकर्म श्रुत का प्रथम भेद । इसमें छत्तीस लाख पाँच हजार पदों के द्वारा चंद्रमा की भोगसम्पदा का वर्णन है । हरिवंशपुराण 10.61-63
दृष्टिवाद अग के पाँच भेदों मे से परिकर्म श्रुत का प्रथम भेद । इसमें छत्तीस लाख पाँच हजार पदों के द्वारा चंद्रमा की भोगसम्पदा का वर्णन है । हरिवंशपुराण 10.61-63