तीर्थंकर प्रकृति: Difference between revisions
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<p> नाम कर्म की एक पुण्य प्रकृति । इसी का बन्ध कर मानव तीर्थंकर होता है । इस प्रकृति के बन्ध में सोलहकारण भावनाएं हेतु होती है । हरिवंशपुराण 39.1</p> | <p> नाम कर्म की एक पुण्य प्रकृति । इसी का बन्ध कर मानव तीर्थंकर होता है । इस प्रकृति के बन्ध में सोलहकारण भावनाएं हेतु होती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 39.1 </span></p> | ||
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Revision as of 21:41, 5 July 2020
नाम कर्म की एक पुण्य प्रकृति । इसी का बन्ध कर मानव तीर्थंकर होता है । इस प्रकृति के बन्ध में सोलहकारण भावनाएं हेतु होती है । हरिवंशपुराण 39.1