तुम चेतन हो
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तुम चेतन हो
जिन विषयनि सँग दुख पावै सो, क्यों तज देत न हो।।तुम. ।।१ ।।
नरक निगोद कषाय भ्रमावै, क्यों न सचेतन हो।।तुम. ।।२।।
`द्यानत' आपमें आपको जानो, परसों हेत न हो।।तुम. ।।३ ।।