दिग्गजेंद्र: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol class="HindiText"> | |||
<li> विदेह क्षेत्र में सुमेरु पर्वत के दोनों और भद्रशाल वन में सीता व सीतोदा नदी के प्रत्येक तट पर दो-दो दिग्गजेन्द्र पर्वत हैं। इनके अंजन शैल, कुमुद शैल, स्वस्तिक शैल, पलाशगिरि, रोचक, पद्मोत्तर, नील ये नाम हैं।– देखें - [[ लोक#3.8 | लोक / ३ / ८ ]]। </li> | |||
<li> उपरोक्त कूटों पर दिग्गजेन्द्र देव रहते हैं।– देखें - [[ व्यंतर#4.5 | व्यंतर / ४ / ५ ]]लोक/३/८ इनके अतिरिक्त रुचक पर्वत के चार कूटों पर भी चार दिग्गजेन्द्र देव रहते हैं।– देखें - [[ व्यंतर#4.5 | व्यंतर / ४ / ५ ]]; लोक/४/७। </li> | |||
</ol> | |||
[[दिगिंद्र | Previous Page]] | |||
[[दिग्नाग | Next Page]] | |||
[[Category:द]] | |||
Revision as of 16:15, 25 December 2013
- विदेह क्षेत्र में सुमेरु पर्वत के दोनों और भद्रशाल वन में सीता व सीतोदा नदी के प्रत्येक तट पर दो-दो दिग्गजेन्द्र पर्वत हैं। इनके अंजन शैल, कुमुद शैल, स्वस्तिक शैल, पलाशगिरि, रोचक, पद्मोत्तर, नील ये नाम हैं।– देखें - लोक / ३ / ८ ।
- उपरोक्त कूटों पर दिग्गजेन्द्र देव रहते हैं।– देखें - व्यंतर / ४ / ५ लोक/३/८ इनके अतिरिक्त रुचक पर्वत के चार कूटों पर भी चार दिग्गजेन्द्र देव रहते हैं।– देखें - व्यंतर / ४ / ५ ; लोक/४/७।