दिव्यलक्षणपंक्ति: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> बत्तीस व्यंजन, चौसठ कला और एक सौ आठ लक्षण इन दो सौ चार लक्षणों की अपेक्षा से दो सौ चार उपवासों से युक्त एक व्रत । इसमें एक उपवास के बाद एक पारणा की जाने से यह चार सौ आठ दिन मे पूर्ण होता है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.123 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> बत्तीस व्यंजन, चौसठ कला और एक सौ आठ लक्षण इन दो सौ चार लक्षणों की अपेक्षा से दो सौ चार उपवासों से युक्त एक व्रत । इसमें एक उपवास के बाद एक पारणा की जाने से यह चार सौ आठ दिन मे पूर्ण होता है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_34#123|हरिवंशपुराण - 34.123]] </span></p> | ||
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Revision as of 15:10, 27 November 2023
बत्तीस व्यंजन, चौसठ कला और एक सौ आठ लक्षण इन दो सौ चार लक्षणों की अपेक्षा से दो सौ चार उपवासों से युक्त एक व्रत । इसमें एक उपवास के बाद एक पारणा की जाने से यह चार सौ आठ दिन मे पूर्ण होता है । हरिवंशपुराण - 34.123