दृढरथ: Difference between revisions
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<p id="1">(1) विद्याधरों का स्वामी । यह राम का पक्षधर योद्धा था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 58.4 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) विद्याधरों का स्वामी । यह राम का पक्षधर योद्धा था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 58.4 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विद्याधर-वंश में उत्पन्न एक नृप । यह विद्याधर विद्युद्दृढ का पुत्र था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.47,56 </span></p> | <p id="2">(2) विद्याधर-वंश में उत्पन्न एक नृप । यह विद्याधर विद्युद्दृढ का पुत्र था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.47,56 </span></p> | ||
<p id="3">(3) तीर्थंकर शांतिनाथ के पूर्वभव का जीव । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.21-24 </span></p> | <p id="3">(3) तीर्थंकर शांतिनाथ के पूर्वभव का जीव । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.21-24 </span></p> | ||
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<p id="9">(9) राजा बृहद्रथ का पुत्र और नरवर का पिता । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18.17-18 </span></p> | <p id="9">(9) राजा बृहद्रथ का पुत्र और नरवर का पिता । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18.17-18 </span></p> | ||
<p id="10">(10) राजा नरवर का पुत्र और सुखरथ का पिता । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18. 18-19 </span></p> | <p id="10">(10) राजा नरवर का पुत्र और सुखरथ का पिता । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18. 18-19 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
महापुराण/63/ श्लोक–पुष्कलावती देश में पुंडरीकिणी नगरी के राजा घनरथ का पुत्र था (142–)। राज्य लेना अस्वीकार कर दीक्षा धारण कर ली (307–)। अंत में एक माह के उपवास सहित संन्यास मरणकर स्वर्ग में अहमिंद्र हुआ (336–)। यह शांतिनाथ भगवान् के प्रथम गणधर चक्रायुध का पूर्व का दूसरा भव है।–देखें चक्रायुध ।
पुराणकोष से
(1) विद्याधरों का स्वामी । यह राम का पक्षधर योद्धा था । पद्मपुराण 58.4
(2) विद्याधर-वंश में उत्पन्न एक नृप । यह विद्याधर विद्युद्दृढ का पुत्र था । पद्मपुराण 5.47,56
(3) तीर्थंकर शांतिनाथ के पूर्वभव का जीव । पद्मपुराण 20.21-24
(4) भरतक्षेत्र के मलय देश में भद्रपुर नगर का स्वामी । इसके पुत्र तीर्थंकर शीतलनाथ थे । महापुराण 56.24, 28.29, पद्मपुराण 20. 46
(5) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहक्षेत्र में स्थित पुष्कलावती देश में पुंडरीकिणी नगरी के राजा धनरथ और रानी मनोरमा का पुत्र । पिता ने इसका विवाह सुमति नाम की कन्या से किया था, जिससे इनके वरसेन नाम का पुत्र हुआ था । राज्य से विमुख होकर अपने पिता ने साथ इसने दीक्षा धारण कर ली । आयु के अंत में नभस्तिलक नामक पर्वत पर श्रेष्ठ संयम धारण करके एक महीने के प्रायोपगमन संन्यासपूर्वक शांत परिणामों से शरीर छोड़कर यह अहमिंद्र हुआ । महापुराण 63. 142-148, 307-311, 336-337, पांडवपुराण 5.53-57, 91-98
(6) जंबूद्वीप के मंगला देश में स्थित भद्रिलपुर नगर के राजा मेघरथ और रानी सुभद्रा का पुत्र । महापुराण 70. 182-183, हरिवंशपुराण 18.112
(7) राजा धृतराष्ट्र और रानी गांधारी का तेरासीवां पुत्र । पांडवपुराण 8.203
(8) तीर्थंकर वृषभदेव के तीसरे गणधर । महापुराण 43. 54, हरिवंशपुराण 12.55
(9) राजा बृहद्रथ का पुत्र और नरवर का पिता । हरिवंशपुराण 18.17-18
(10) राजा नरवर का पुत्र और सुखरथ का पिता । हरिवंशपुराण 18. 18-19