धनंजय: Difference between revisions
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<li> | <li> दिगंबरांनाय के एक कवि थे। आपने द्विसंधानकाव्य और नाममाला कोश लिखे हैं। समय–डॉ.के.बी.पाठक के अनुसार आपका समय ई.1123-1140 है। परंतु पं.महेंद्र कुमार व पं.पन्नालाल के अनुसार ई.श.8। ( सिद्धि विनिश्चय/ प्र.37/पं.महेंद्र), ( ज्ञानार्णव/ प्र.6/पं.पन्नाला) </li> | ||
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<p id="3">(3) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के मेधपुर-नगर का नृप । इसकी पुत्री का नाम वनश्री था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 252-253, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.135 </span></p> | <p id="3">(3) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के मेधपुर-नगर का नृप । इसकी पुत्री का नाम वनश्री था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 252-253, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.135 </span></p> | ||
<p id="4">(4) राजा धरण का दूसरा पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.50 </span></p> | <p id="4">(4) राजा धरण का दूसरा पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.50 </span></p> | ||
<p id="5">(5) राजा | <p id="5">(5) राजा जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.36 </span></p> | ||
<p id="6">(6) विजयार्ध-पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19. 64, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.86 </span></p> | <p id="6">(6) विजयार्ध-पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19. 64, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.86 </span></p> | ||
<p id="7">(7) महारत्नपुर-नगर का एक विद्याधर-राजा । <span class="GRef"> महापुराण 62.68, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.27 </span></p> | <p id="7">(7) महारत्नपुर-नगर का एक विद्याधर-राजा । <span class="GRef"> महापुराण 62.68, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.27 </span></p> | ||
<p id="8">(8) | <p id="8">(8) धातकीखंड के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती-देश की पुंडरीकिणी-नगरी का राजा । यह बलभद्र-महाबल और नारायण-अतिबल का पिता था । <span class="GRef"> महापुराण 7.80-82 </span></p> | ||
<p id="9">(9) विदेहक्षेत्र की | <p id="9">(9) विदेहक्षेत्र की पुंडरीकिणी-नगरी का निवासी एक सेठ । यह जयदत्ता का पिता था । धनश्री इसकी छोटी बहिन थी । जयदत्ता का विवाह वही के एक सेठ सर्वदयित से हुआ था । धनश्री का विवाह भी वही के दूसरे सेठ सर्वसमुद्र के साथ हुआ था । इसने मुंडरीकिणी नगरी के राजा यशपाल को रत्नों का उपहार दिया था । <span class="GRef"> महापुराण 47. 191-200 </span></p> | ||
<p id="10">(10) | <p id="10">(10) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में कुरुजांगल देश के हस्तिनापुर नगर का राजा । <span class="GRef"> महापुराण 70.160 </span></p> | ||
Revision as of 16:25, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का एक नगर–देखें विद्याधर ।
- दिगंबरांनाय के एक कवि थे। आपने द्विसंधानकाव्य और नाममाला कोश लिखे हैं। समय–डॉ.के.बी.पाठक के अनुसार आपका समय ई.1123-1140 है। परंतु पं.महेंद्र कुमार व पं.पन्नालाल के अनुसार ई.श.8। ( सिद्धि विनिश्चय/ प्र.37/पं.महेंद्र), ( ज्ञानार्णव/ प्र.6/पं.पन्नाला)
पुराणकोष से
(1) अर्जुन । हरिवंशपुराण 50.94 देखें अर्जुन
(2) विद्याधर विनमि का पुत्र । हपू0 22.104
(3) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के मेधपुर-नगर का नृप । इसकी पुत्री का नाम वनश्री था । महापुराण 71. 252-253, हरिवंशपुराण 33.135
(4) राजा धरण का दूसरा पुत्र । हरिवंशपुराण 48.50
(5) राजा जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.36
(6) विजयार्ध-पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर । महापुराण 19. 64, हरिवंशपुराण 22.86
(7) महारत्नपुर-नगर का एक विद्याधर-राजा । महापुराण 62.68, पांडवपुराण 4.27
(8) धातकीखंड के पूर्व विदेहक्षेत्र में पुष्कलावती-देश की पुंडरीकिणी-नगरी का राजा । यह बलभद्र-महाबल और नारायण-अतिबल का पिता था । महापुराण 7.80-82
(9) विदेहक्षेत्र की पुंडरीकिणी-नगरी का निवासी एक सेठ । यह जयदत्ता का पिता था । धनश्री इसकी छोटी बहिन थी । जयदत्ता का विवाह वही के एक सेठ सर्वदयित से हुआ था । धनश्री का विवाह भी वही के दूसरे सेठ सर्वसमुद्र के साथ हुआ था । इसने मुंडरीकिणी नगरी के राजा यशपाल को रत्नों का उपहार दिया था । महापुराण 47. 191-200
(10) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में कुरुजांगल देश के हस्तिनापुर नगर का राजा । महापुराण 70.160