निकोत: Difference between revisions
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<p> अनन्त दुःखों का सागर निगोद । नास्तिक, दुराचारी, दुर्बुद्धि विषयासक्त और तीव्र मिथ्यात्वी जीव यहाँ उत्पन्न होते हैं और एक श्वास में अठारह बार होने वाले जन्म-मरण के महादु:ख भोगते हैं । वीरवर्द्धमान चरित्र 17.78-80</p> | <p> अनन्त दुःखों का सागर निगोद । नास्तिक, दुराचारी, दुर्बुद्धि विषयासक्त और तीव्र मिथ्यात्वी जीव यहाँ उत्पन्न होते हैं और एक श्वास में अठारह बार होने वाले जन्म-मरण के महादु:ख भोगते हैं । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 17.78-80 </span></p> | ||
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Revision as of 21:42, 5 July 2020
अनन्त दुःखों का सागर निगोद । नास्तिक, दुराचारी, दुर्बुद्धि विषयासक्त और तीव्र मिथ्यात्वी जीव यहाँ उत्पन्न होते हैं और एक श्वास में अठारह बार होने वाले जन्म-मरण के महादु:ख भोगते हैं । वीरवर्द्धमान चरित्र 17.78-80