भक्तामर—आचार्य मानतुंग: Difference between revisions
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Latest revision as of 14:50, 18 May 2019
स्तोत्रस्त्रजं तव जिनेन्द्र गुणैर्निबद्धां
भक्त्या मया विविध-वर्ण-विचित्रपुष्पाम्
धत्ते जनो य इह कंठगतामजस्रं
तं मानतुंगमवशा समुपैति लक्ष्मीः ॥४८॥