भक्तामर—पण्डित हेमराज: Difference between revisions
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Latest revision as of 14:50, 18 May 2019
यह गुनमाल विशाल नाथ तुम गुनन सँवारी
विविध-वर्णमय-पुहुप गूँथ मैं भक्ति विथारी ॥
जे नर पहिरे कंठ भावना मन में भावैं
'मानतुंग' ते निजाधीन-शिव-लछमी पावैं ॥
भाषा भक्तामर कियो, 'हेमराज' हित हेत
जे नर पढ़ैं सुभावसों, ते पावैं शिव-खेत ॥४८॥