मणिकेतु: Difference between revisions
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(म.पु./४८/श्लो. नं.)–एक देव था। सगर चक्रवर्ती के जीव (देव) का मित्र था।(८०-८२) मनुष्य भव में सगर चक्रवर्ती को सम्बोधकर उसे विरक्त किया और तब उसने दीक्षा ले ली।८२-१३१। तदनन्तर अपना परिचय देकर देवलोक को चला गया।१३४-१३६।