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| <p> वैताड्य पर्वत की एक गुहा । तापस सुमित्र और उसकी पत्नी सोमयशा के पुत्र को जृम्भक देव हरकर इसी गुहा में लाया था तथा कल्पवृक्ष से उत्पन्न दिव्य आहार से उसने उसका पालन किया था । इसी ने उसका नाम नारद रखा था । हरिवंशपुराण 42.14-18</p>
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| <p id="2">(2) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का छत्तीसवाँ नगर । हरिवंशपुराण 22.89 </p>
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| <p id="3">(3) कुलाचल शिखरी का ग्यारहवाँ कूट । हरिवंशपुराण 5.107</p>
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| <p id="4">(4) कुलाचल रुक्मी का आठवाँँ कूट । हरिवंशपुराण 5.104</p>
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