मणिकांचन
From जैनकोष
वैताड्य पर्वत की एक गुहा । तापस सुमित्र और उसकी पत्नी सोमयशा के पुत्र को जृम्भक देव हरकर इसी गुहा में लाया था तथा कल्पवृक्ष से उत्पन्न दिव्य आहार से उसने उसका पालन किया था । इसी ने उसका नाम नारद रखा था । हरिवंशपुराण 42.14-18
(2) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का छत्तीसवाँ नगर । हरिवंशपुराण 22.89
(3) कुलाचल शिखरी का ग्यारहवाँ कूट । हरिवंशपुराण 5.107
(4) कुलाचल रुक्मी का आठवाँँ कूट । हरिवंशपुराण 5.104