मदनवेगा: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) हस्तिनापुर के कुरुवंशी राजा विद्युद्वेग विद्याधर की पुत्री । चण्डवेग और दधिमुख इसके भाई थे । एक निमित्तज्ञानी मुनि ने बताया था कि चण्डवेग के कंधे पर जिसके गिरने से चण्डवेग को विद्या सिद्ध होगी वह इसका पति होगा । एक समय मानसवेग विद्याधर वसुदेव को हरकर ले गया और उसे गंगा में डाल दिया । वह चंडवेग पर गिरा । चण्डवेग पर यह घटना घटते ही दधिमुख ने इसका विवाह वसुदेव से कर दिया । इसने वसुदेव से अपने पिता को बन्धन मुक्त कराने का वर माँगा था । वसुदेव ने भी इसकी इच्छा पूर्ण की थी । अनावृष्टि इसी का पुत्र था । हरिवंशपुराण 24.80-86, 25. 36-39, 71, 26.1</p> | <p id="1"> (1) हस्तिनापुर के कुरुवंशी राजा विद्युद्वेग विद्याधर की पुत्री । चण्डवेग और दधिमुख इसके भाई थे । एक निमित्तज्ञानी मुनि ने बताया था कि चण्डवेग के कंधे पर जिसके गिरने से चण्डवेग को विद्या सिद्ध होगी वह इसका पति होगा । एक समय मानसवेग विद्याधर वसुदेव को हरकर ले गया और उसे गंगा में डाल दिया । वह चंडवेग पर गिरा । चण्डवेग पर यह घटना घटते ही दधिमुख ने इसका विवाह वसुदेव से कर दिया । इसने वसुदेव से अपने पिता को बन्धन मुक्त कराने का वर माँगा था । वसुदेव ने भी इसकी इच्छा पूर्ण की थी । अनावृष्टि इसी का पुत्र था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 24.80-86, 25. 36-39, 71, 26.1 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वासव नट तथा प्रियरति नटी की पुत्री । इसने श्रीपाल के समक्ष पुरुष-वेश में और इसके पिता ने स्त्री-वेष में नृत्य किया था । श्रीपाल ने नट और नटी को पहचान लिया था । निमित्तज्ञ ने नट और नटी के इस गुप्त रहस्य के जानने वाले को सुरम्य देश में श्रीपुर नगर के राजा श्रीधर की पुत्री जयवती का पति होना बताया था । महापुराण 47.11-18</p> | <p id="2">(2) वासव नट तथा प्रियरति नटी की पुत्री । इसने श्रीपाल के समक्ष पुरुष-वेश में और इसके पिता ने स्त्री-वेष में नृत्य किया था । श्रीपाल ने नट और नटी को पहचान लिया था । निमित्तज्ञ ने नट और नटी के इस गुप्त रहस्य के जानने वाले को सुरम्य देश में श्रीपुर नगर के राजा श्रीधर की पुत्री जयवती का पति होना बताया था । <span class="GRef"> महापुराण 47.11-18 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत के दक्षिण तट पर स्थित | <p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत के दक्षिण तट पर स्थित वस्त्वालय नगर के राजा सेन्द्रकेतु और उसकी रानी सुप्रभा से उत्पन्न पुत्री । इसने आर्यिका प्रियमित्रा से दीक्षा ले ली थी तथा तपश्चरण करने लगी थी । <span class="GRef"> महापुराण 63. 249-254 </span></p> | ||
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Revision as of 21:45, 5 July 2020
(1) हस्तिनापुर के कुरुवंशी राजा विद्युद्वेग विद्याधर की पुत्री । चण्डवेग और दधिमुख इसके भाई थे । एक निमित्तज्ञानी मुनि ने बताया था कि चण्डवेग के कंधे पर जिसके गिरने से चण्डवेग को विद्या सिद्ध होगी वह इसका पति होगा । एक समय मानसवेग विद्याधर वसुदेव को हरकर ले गया और उसे गंगा में डाल दिया । वह चंडवेग पर गिरा । चण्डवेग पर यह घटना घटते ही दधिमुख ने इसका विवाह वसुदेव से कर दिया । इसने वसुदेव से अपने पिता को बन्धन मुक्त कराने का वर माँगा था । वसुदेव ने भी इसकी इच्छा पूर्ण की थी । अनावृष्टि इसी का पुत्र था । हरिवंशपुराण 24.80-86, 25. 36-39, 71, 26.1
(2) वासव नट तथा प्रियरति नटी की पुत्री । इसने श्रीपाल के समक्ष पुरुष-वेश में और इसके पिता ने स्त्री-वेष में नृत्य किया था । श्रीपाल ने नट और नटी को पहचान लिया था । निमित्तज्ञ ने नट और नटी के इस गुप्त रहस्य के जानने वाले को सुरम्य देश में श्रीपुर नगर के राजा श्रीधर की पुत्री जयवती का पति होना बताया था । महापुराण 47.11-18
(3) विजयार्ध पर्वत के दक्षिण तट पर स्थित वस्त्वालय नगर के राजा सेन्द्रकेतु और उसकी रानी सुप्रभा से उत्पन्न पुत्री । इसने आर्यिका प्रियमित्रा से दीक्षा ले ली थी तथा तपश्चरण करने लगी थी । महापुराण 63. 249-254