मानतुंग: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
काशीवासी धनदेव ब्राह्मण के पुत्र थे। पहले | काशीवासी धनदेव ब्राह्मण के पुत्र थे। पहले श्वेतांबर साधु थे, पीछे दिगंबरी दीक्षा धारण कर ली। दोनों ही आम्नायों में सम्मानित हैं। राजा द्वारा 48 तालों में बंद किये जाने की कथा इनके विषय में प्रसिद्ध है। कृति–भक्तामर स्तोत्र। समय–राजा हर्ष (ई. 608) के समकालीन होने से तथा आ. सिद्धसेन (वि. 625) कृत कल्याण मंदिर स्तोत्र से प्रभावित होने से लगभग वि. 675 (ई. 618)। (ती. /2/268, 273)। | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:32, 19 August 2020
काशीवासी धनदेव ब्राह्मण के पुत्र थे। पहले श्वेतांबर साधु थे, पीछे दिगंबरी दीक्षा धारण कर ली। दोनों ही आम्नायों में सम्मानित हैं। राजा द्वारा 48 तालों में बंद किये जाने की कथा इनके विषय में प्रसिद्ध है। कृति–भक्तामर स्तोत्र। समय–राजा हर्ष (ई. 608) के समकालीन होने से तथा आ. सिद्धसेन (वि. 625) कृत कल्याण मंदिर स्तोत्र से प्रभावित होने से लगभग वि. 675 (ई. 618)। (ती. /2/268, 273)।