यूपकेसर: Difference between revisions
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<p> लवणसमुद्र की उत्तर दिशा-स्थित पाताल-विवर । इसके मूल और अग्रभाग का विस्तार दश हजार योजन तथा गहराई और मध्य भाग का विस्तार एक-एक लाख योजन है । हरिवंशपुराण 5. 443-444</p> | <p> लवणसमुद्र की उत्तर दिशा-स्थित पाताल-विवर । इसके मूल और अग्रभाग का विस्तार दश हजार योजन तथा गहराई और मध्य भाग का विस्तार एक-एक लाख योजन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 443-444 </span></p> | ||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
लवणसमुद्र की उत्तर दिशा-स्थित पाताल-विवर । इसके मूल और अग्रभाग का विस्तार दश हजार योजन तथा गहराई और मध्य भाग का विस्तार एक-एक लाख योजन है । हरिवंशपुराण 5. 443-444