रत्नत्रय व्रत
From जैनकोष
प्रत्येक वर्ष तीन बार-भादों, माघ व चैत्र मास में आता है । शुक्ला द्वादशी को दोपहर के भोजन के पश्चात् धारणा । १३, १४ व १५ को उपवास करे । कृष्ण १ को दोपहर को पारणा करे । इन दिनों में पूर्ण ब्रह्मचर्य से रहे । ‘ओं ह्रीं सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्रेभ्यो नमः’ इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य करे । (व्रत - विधान सं./पृ. ४०)।