लिंग व्यभिचार: Difference between revisions
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Latest revision as of 16:24, 14 November 2022
लिंग व्यभिचार विषयक—तिसी प्रकार वे वैयाकरणीजन ‘पुष्यनक्षत्र तारा है’ यहाँ लिंग भेद होने पर भी, उनके द्वारा किये गये एक ही अर्थ का आदर करते हैं, क्योंकि लोक में कई तारकाओं से मिलकर बना एक पुष्य नक्षत्र माना गया है। उनका कहना है कि शब्द के लिंग का नियत करना लोक के आश्रय से होता है। उनका ऐसा कहना श्रेष्ठ नहीं है, क्योंकि ऐसा मानने से तो पुल्लिंगी पट, और स्त्रीलिंगी झोंपड़ी इन दोनों शब्दों के भी एकार्थ हो जाने का प्रसंग प्राप्त होता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें नय - III.6.7|