वनदेवता: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
(3 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> वन के रक्षक देव । इन्हीं देवों ने वृषभदेव के साथ दीक्षित हुए साधुओं को तप से भ्रष्ट होने पर अपने हाथ से वन्य फल खाते और जल पीते देखकर उन्हें रोका था । <span class="GRef"> महापुराण 18.59-54 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> वन के रक्षक देव । इन्हीं देवों ने वृषभदेव के साथ दीक्षित हुए साधुओं को तप से भ्रष्ट होने पर अपने हाथ से वन्य फल खाते और जल पीते देखकर उन्हें रोका था । <span class="GRef"> महापुराण 18.59-54 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 10: | Line 10: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: व]] | [[Category: व]] | ||
[[Category: प्रथमानुयोग]] |
Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
वन के रक्षक देव । इन्हीं देवों ने वृषभदेव के साथ दीक्षित हुए साधुओं को तप से भ्रष्ट होने पर अपने हाथ से वन्य फल खाते और जल पीते देखकर उन्हें रोका था । महापुराण 18.59-54