विक्रान्त: Difference between revisions
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<p id="1">(1) यादवों का पक्षधर एक अर्धरथ स्व । हरिवंशपुराण 50. 85, 132</p> | <p id="1">(1) यादवों का पक्षधर एक अर्धरथ स्व । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 50. 85, 132 </span></p> | ||
<p id="2">(2) रत्नप्रभा पृथिवी के तेरह इन्द्रक बिलों में तेरहवाँ इन्द्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ अड़तालीस और विदिशाओं में एक सो चवालीस श्रेणीबद्ध बिल हैं । हरिवंशपुराण 4.46-77, 101-102</p> | <p id="2">(2) रत्नप्रभा पृथिवी के तेरह इन्द्रक बिलों में तेरहवाँ इन्द्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ अड़तालीस और विदिशाओं में एक सो चवालीस श्रेणीबद्ध बिल हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.46-77, 101-102 </span></p> | ||
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Revision as of 21:47, 5 July 2020
(1) यादवों का पक्षधर एक अर्धरथ स्व । हरिवंशपुराण 50. 85, 132
(2) रत्नप्रभा पृथिवी के तेरह इन्द्रक बिलों में तेरहवाँ इन्द्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में एक सौ अड़तालीस और विदिशाओं में एक सो चवालीस श्रेणीबद्ध बिल हैं । हरिवंशपुराण 4.46-77, 101-102