विनयंधर
From जैनकोष
- पुन्नाट संघ की गुर्वावली के [अनुसार लोहाचार्य नं. २ के शिष्य तथा गुप्ति श्रुति के गुरु थे। समय–वी.नि.५३० (ई. सं. ३), (दे. इतिहास/७/८)।
- वृ. कथा कोष/कथा नं. १३/पृ.–कुम्भिपुर का राजा था।७१। सिद्धार्थ नामक श्रेष्ठि पुत्र द्वारा दिये गये भगवान् के गन्धोधक जल से उसकी शारीरिक व्याधियाँ शान्त हो गयीं। तब उसने श्रावकव्रत धरण कर लिये। (७२-७३)।