श्रेणीचारण ऋद्धि: Difference between revisions
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<span class="GRef">धवला पुस्तक संख्या ९/४,१,१७/८०-१; ८१-८ </span><p class="PrakritText">धूमग्गि-गिरि-तरु-तंतुसंताणेसु उड्ढारोहणसत्तिसंजुत्ता सेडीचारणा णाम ।८०-१।.....धूमग्गिवाद-मेहादिचारणाणं तंतु-सेडिचारणेसु अंतब्भाओ, अणुलोमविलोमगमणेसु जीवपीडा अकरणसत्तिसंजुत्तादो।</P> | |||
<p class="HindiText">= धूम, अग्नि, पर्वत, और वृक्ष के तन्तु समूह पर से ऊपर चढ़ने की शक्ति से संयुक्त <strong>`श्रेणी चारण'</strong> है। .....धूम, अग्नि, वायु और मेघ आदिक के आश्रय से चलने वाले चारणों का `तन्तु-श्रेणी' चारणों में अन्तर्भाव हो जाता है, क्योंकि, वे अनुलोम और प्रतिलोम गमन करनेमें जीवोंको पीड़ा न करनेकी शक्ति से संयुक्त हैं।</P> | |||
<p class="HindiText">ऋद्धियों को विस्तार से जानने के लिये देखें [[ ऋद्धि ]]।</P> | |||
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Latest revision as of 16:58, 4 December 2022
धवला पुस्तक संख्या ९/४,१,१७/८०-१; ८१-८
धूमग्गि-गिरि-तरु-तंतुसंताणेसु उड्ढारोहणसत्तिसंजुत्ता सेडीचारणा णाम ।८०-१।.....धूमग्गिवाद-मेहादिचारणाणं तंतु-सेडिचारणेसु अंतब्भाओ, अणुलोमविलोमगमणेसु जीवपीडा अकरणसत्तिसंजुत्तादो।
= धूम, अग्नि, पर्वत, और वृक्ष के तन्तु समूह पर से ऊपर चढ़ने की शक्ति से संयुक्त `श्रेणी चारण' है। .....धूम, अग्नि, वायु और मेघ आदिक के आश्रय से चलने वाले चारणों का `तन्तु-श्रेणी' चारणों में अन्तर्भाव हो जाता है, क्योंकि, वे अनुलोम और प्रतिलोम गमन करनेमें जीवोंको पीड़ा न करनेकी शक्ति से संयुक्त हैं।
ऋद्धियों को विस्तार से जानने के लिये देखें ऋद्धि ।