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| <p id="1"> (1) वृषभदेव के सत्ताईसवें और इकतालीसवें गणधर । हरिवंशपुराण 12.59, 62</p> | | #REDIRECT [[सर्वगुप्त]] |
| <p id="2">(2) एक मुनि । शंखपुर नगर के राजा राजगुप्त और रानी शंखिका दोनों ने इनसे जिनगुणस्वाति नामक व्रत ग्रहण किया था । महापुराण 63.246-247</p>
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| <p id="3">(3) एक केवली मुनि । इनसे प्रीतिंकर ने धर्मोपदेश सुना था । महापुराण 59.7</p>
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| <p id="4">(4) काकन्दी नगरी के राजा रतिवर्द्धन का मंत्री । इसकी स्त्री विजयावली थी । इसने रात्रि के समय राजमहल में आग लगवा दी थी । राजा सावधान रहता था, अत: आग लगते ही स्त्री और पुत्रों को लेकर महल से बाहर निकल गया था । राजा के न रहने पर यही राजा बना था । अन्त में यह काशी के राजा कशिपु द्वारा पकड़ा गया तथा नगर के बाहर बसाया गया । पद्मपुराण 108.7-33</p>
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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| [[Category: स]]
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