सागारधर्म: Difference between revisions
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Revision as of 15:15, 13 May 2020
गृहस्थ धर्म-पाँच अणुव्रत, तीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रत । इन बारह व्रतों का धारण करना तथा धन-सम्पदा में सन्तोष रखना, इन्द्रिय विषयों में अनासक्त रहना, कषायों को कृश करना और ज्ञानियों की विनय करना सागार-धर्म है । पद्मपुराण 4.46, 6. 288-289