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| <p id="1"> (1) अलका नगरी के राजा अरविन्द विद्याधर का ज्येष्ठ पुत्र और कुरुविन्द का भाई । पिता ने अपना दाहज्वर मिटाने के लिए इससे उत्तरकुरु के वन में जाने की इच्छा प्रकट की थी । इसने भी आकाशगामिनी विद्या को उन्हें उत्तरकुरु ले जाने के लिए कहा था किन्तु विद्या उन्हें वहाँ नहीं ले जा सकी थी । इससे पिता की असाध्य बीमारी जानकर यह उदास हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 5. 89-101 </span></p>
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| <p id="2">(2) सिद्धकूट के एक चारणऋद्धिधारी मुनि । प्रभाकरपुर के राजा सूर्यावर्त का पुत्र रश्मिवेग इन्हीं से दीक्षा लेकर मुनि हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 59.233, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.80-83 </span></p>
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| <p id="3">(3) आगामी चौथे बलभद्र । <span class="GRef"> महापुराण 76.486 </span></p>
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| <p id="4">(4) एक विद्याधर । यह विद्याधर रक्तोष्ठ का पुत्र और पूश्चन्द्र का पिता था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.52 </span></p>
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| <p id="5">(5) जम्बूद्वीप के मृगांकनगर का राजा । इसकी रानी प्रियंगुलक्ष्मी और पुत्र सिंहचन्द्र था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 17. 150-151 </span></p>
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