जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय
From जैनकोष
Revision as of 00:40, 16 February 2008 by 76.211.231.33 (talk)
Revision as of 00:40, 16 February 2008 by 76.211.231.33 (talk)
जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय
रोम रोम लखि हरष होत है, आनँद उर न समाय।।जिन. ।।१ ।।
शांतरूप शिवराह बतावै, आसन ध्यान उपाय।।जिन.।।२ ।।
इंद फनिंद नरिंद विभौ सब, दीसत है दुखदाय।।जिन. ।।३ ।।
`द्यानत' पूजै ध्यावै गावै, मन वच काय लगाय ।।जिन.।।४ ।।