पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 23 - अर्थ: Difference between revisions
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<p><span class="AnvayArth">सद्भावस्वभावानाम्</span> सत्ता स्वभाववाले <span class="AnvayArth">जीवानाम् तथा एव पुद्गलानाम् च</span> जीव और पुद्गलों के <span class="AnvayArth">परिवर्तनसम्भूतः</span> परिवर्तन से सिद्ध होने वाला <span class="AnvayArth">कालः</span> ऐसा काल <span class="AnvayArth">नियमेन प्रज्ञप्तः</span> (सर्वज्ञों द्वारा) नियम (निश्चय) से उपदेश दिया गया है ।</p> | <p><span class="AnvayArth">[सद्भावस्वभावानाम्]</span> सत्ता स्वभाववाले <span class="AnvayArth">[जीवानाम् तथा एव पुद्गलानाम् च]</span> जीव और पुद्गलों के <span class="AnvayArth">[परिवर्तनसम्भूतः]</span> परिवर्तन से सिद्ध होने वाला <span class="AnvayArth">[कालः]</span> ऐसा काल <span class="AnvayArth">[नियमेन प्रज्ञप्तः]</span> (सर्वज्ञों द्वारा) नियम (निश्चय) से उपदेश दिया गया है ।</p> | ||
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Revision as of 17:06, 24 August 2021
[सद्भावस्वभावानाम्] सत्ता स्वभाववाले [जीवानाम् तथा एव पुद्गलानाम् च] जीव और पुद्गलों के [परिवर्तनसम्भूतः] परिवर्तन से सिद्ध होने वाला [कालः] ऐसा काल [नियमेन प्रज्ञप्तः] (सर्वज्ञों द्वारा) नियम (निश्चय) से उपदेश दिया गया है ।