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- ...span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_27#111|हरिवंशपुराण - 27.111-116]] </span></p> ...an class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण </span> </span> </span>7. 13-15</p> ...10 KB (165 words) - 15:21, 27 November 2023
- ...प्रमादरहित सावधान रहे तो भी पुण्यहीन मनुष्य की रक्षा नहीं होती</strong> ॥25-26 ।।<span id="27" /> इसके विपरीत पुण्या [[ ग्रन्थ:पद्मपुराण - सर्ग 60 | अगला पृष्ठ ]] ...14 KB (182 words) - 13:39, 10 August 2023
- | Tirthankar-Number = 14 | Tirthankar-Name = अनन्तनाथ ...10 KB (144 words) - 14:39, 27 November 2023
- ...के पश्चात् स्वर्ग में देव होकर (65/33) नरक में जाकर कृष्ण को संबोधा (65/42-54) - विशेष देखें [[ शलाका पुरुष#3 ...<span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_66#24|हरिवंशपुराण - 66.24-26]] </span></p> ...7 KB (114 words) - 15:15, 27 November 2023
- ...ेकर दीक्षा धारण की। तथा तत्क्षण मनःपर्यय व केवलज्ञान प्राप्त किया। (46/393-395) (विशेष देखें [[ लिंग#3.5 | लिंग - 3 ...19 KB (152 words) - 15:15, 27 November 2023
- <strong>1.<span class="GRef"> ति.प/4/515-516</span></strong></p> ...>3.<span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_#20.124|पद्मपुराण - 20.124-193]] </span></strong></p> ...132 KB (11,542 words) - 22:21, 17 November 2023
- ...9/115-20)। घोर तप किया (60/7)। अंत में गिरनार पर्वत से मोक्ष सिधारे (65/16-17)। </li> ...12 KB (189 words) - 15:10, 27 November 2023
- ...19 KB (132 words) - 15:21, 27 November 2023
- ...ापूर्वक शरीर छोड़ (5/248-250)। ईशान स्वर्ग में ललितांग नामक देव हुए।(5/253-254)। यह ऋषभदेव का पूर्व भव नं. 9 ...लवाहन मुनि से दीक्षा ले 11 अंग का पाठी हो तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया।(10-12)। समाधिमरणपूर्वक विजय नामक ...18 KB (354 words) - 15:20, 27 November 2023
- ...पश्चात् मूल परंपरा में तीसरे 11 अंगधारी थे। समय - वी.नि. 383-420 (ई.पू. 144-105) - देखें [[ इतिहास#4.1 | इतिहास - 4.1] ...र, भीम व अर्जुन मुक्त हुए और नकुल व सहदेव सर्वार्थसिद्धि में देव हुए (25/52-139)। ...11 KB (91 words) - 15:15, 27 November 2023
- ...मान उद्यान में कीर्ति और शीलरूपी परिवार से सहित आपकी प्रिया विद्यमान है ॥26-28॥<span id="29" /><span id="30" /><span id="31" /><span id="32" /></p> ...24 KB (193 words) - 13:39, 10 August 2023
- ...6-107, 67.89, 70. 319, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_32#10|हरिवंशपुराण - 32.10]], </span><span class="GRe ...16 KB (93 words) - 20:41, 29 November 2023
- <li class="HindiText"> [[#3.7 | सभी सम्यक्त्व में तथा 4-8 गुणस्थानों में बँधने का निय <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_43#78|हरिवंशपुराण - 43.78]] </span><span class="Sans ...357 KB (33,626 words) - 20:09, 15 February 2024
- ...साथ ही बड़ी प्रसन्न दृष्टि से बहुत भारी खजाना और उत्तम सेना भी प्रदान की ॥9-10॥<span id="11" /> तदनंतर उस अद्वितीय क ...भ्युदय से युक्त था ऐसे भरत ने शत्रुघ्न के साथ अयोध्या में प्रवेश किया ।। 29-31 ।।<span id="32" /> वहाँ विजयसुंदरी के ...50 KB (385 words) - 13:39, 10 August 2023
- ...70 KB (501 words) - 13:39, 10 August 2023
- <h1 style="text-align: center;"><span style="text-decoration: underline;">अनुक्रमणिका</span></h1> <h3 style="padding-left: 30px;">[[ #1.1 | 1.1 इतिहास का लक्षण।]]</h ...645 KB (29,383 words) - 14:40, 27 November 2023
- ...रित्रसार पृष्ठ 178/1)</span> <span class="GRef">(अनगार धर्मामृत अधिकार 6/58-59/609)</span>।</p> ...161 KB (2,719 words) - 17:15, 18 February 2024
- ...ित्रसार पृष्ठ 178/1</span>) ( <span class="GRef">अनगार धर्मामृत अधिकार 6/58-59/609</span>)।</p> ...164 KB (2,892 words) - 04:11, 17 February 2023