बलाक पिच्छ
From जैनकोष
मूल संघ की गुर्वावली के अनुसार आप आचार्य उमास्वामी के शिष्य थे । समन्तभद्र आचार्य के समकालीन तथा लोहाचार्य तृतीय के सहधर्मा थे । लोहाचार्य का नाम मूल नन्दिसंघ में आता है । पर इनका नाम उसी नन्दिसंघ के देशीय गण नं. २ में आता है । अर्थात् ये देशीय गण नं. २ के अग्रणी थे । समय - वि. २७७-२८८ (ई. २२०-२३१) विशेष देखें - इतिहास / ७ / १ ,५ ।