तप प्रायश्चित्त
From जैनकोष
सव्वादिगुणालंकृतेन कृतापराधेनोपवासैकस्थानाचाम्लनिर्विकृत्यादिभि: क्रियमाणं तप इत्युच्यते। =जो शारीरिक व मानसिक बल आदि गुणों से परिपूर्ण हैं, और जिनसे कुछ अपराध हुआ है ऐसे मुनि उपवास, एकासन, आचाम्ल आदि के द्वारा जो तपश्चरण करते हैं उसे तप प्रायश्चित्त कहते हैं।
अधिक जानकारी के लिये देखें तप - 6।