श्रीनिलया
From जैनकोष
एक वापी । यह मेरु पर्वत की पश्चिमोत्तर (वायव्य) दिशा में विद्यमान चार वापियों में चौथी वापी है । हरिवंशपुराण - 5.344 ।
एक वापी । यह मेरु पर्वत की पश्चिमोत्तर (वायव्य) दिशा में विद्यमान चार वापियों में चौथी वापी है । हरिवंशपुराण - 5.344 ।