श्रुतिरत
From जैनकोष
नाग नगर के निवासी विश्वांक ब्राह्मण और अग्निकुंडा ब्राह्मणी का विद्वान पुत्र । इस नगर के राजा कुलंकर ने इसे अपना पुरोहित बनाया था । राजा मुनि पद धारण कर रहा था । उस समय इसने वैदिक धर्म का आचरण करने के लिए प्रेरित किया और राजा ने इसकी प्रार्थना स्वीकार भी कर ली थी । राजा की रानी श्रीदामा ने सशंकित होकर राजा सहित इसे मार डाला था । दोनों मरकर खरगोश हुए । पद्मपुराण - 85.49-63