बहुश्रुत: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में रथनुपुरचक्रवाल नगर के राजा ज्वलनजटी विद्याधर का द्वितीय मंत्री । <span class="GRef"> महापुराण 62.25-30 63 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.22 </span></p> | <p id="1"> (1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में रथनुपुरचक्रवाल नगर के राजा ज्वलनजटी विद्याधर का द्वितीय मंत्री । <span class="GRef"> महापुराण 62.25-30 63 </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.22 </span></p> | ||
<p id="2">(2) | <p id="2">(2) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 120 </span></p> | ||
<p id="3">(3) अनेक शास्त्रों के ज्ञाता आचार्य और उपाध्याय । <span class="GRef"> महापुराण 63.327 </span></p> | <p id="3">(3) अनेक शास्त्रों के ज्ञाता आचार्य और उपाध्याय । <span class="GRef"> महापुराण 63.327 </span></p> | ||
Revision as of 16:29, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
धवला 8/3,41/89/7 बारसंगपारयाबहुसुदाणाम । = जो बारह अंगों के पारगामी हैं वे बहुश्रुत कहे जाते हैं ।
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में रथनुपुरचक्रवाल नगर के राजा ज्वलनजटी विद्याधर का द्वितीय मंत्री । महापुराण 62.25-30 63 पांडवपुराण 4.22
(2) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 120
(3) अनेक शास्त्रों के ज्ञाता आचार्य और उपाध्याय । महापुराण 63.327