योगसार - निर्जरा-अधिकार गाथा 281
From जैनकोष
सर्व परद्रव्यों से आत्मा का संबंध नहीं -
स्पृश्यते शोध्यते नात्मा मलिनेनामलेन वा ।
पर-द्रव्य-बहिर्भूत: परद्रव्येण सर्वथा ।।२८१।।
अन्वय :- मलिनेन वा अमलेन परद्रव्येण आत्मा न स्पृश्यते (न) शोध्यते । (यत: आत्मा) सर्वथा पर-द्रव्य-बहिर्भूत: (अस्ति) ।
सरलार्थ :- समल अथवा निर्मल कोई भी परद्रव्य आत्मा को स्पर्श नहीं कर सकता और आत्मा को शुद्ध भी नहीं कर सकता; क्योंकि आत्मा परद्रव्यों से सर्वथा बहिर्भूत अर्थात् भिन्न है ।