GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 120 - अर्थ
From जैनकोष
जीव सब जानता है, देखता है, सुख को चाहता है, दु:ख से डरता है, हित-अहित करता है और उनके फल को भोगता है ।
जीव सब जानता है, देखता है, सुख को चाहता है, दु:ख से डरता है, हित-अहित करता है और उनके फल को भोगता है ।