GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 152 - अर्थ
From जैनकोष
अनन्य-मय, अप्रतिहत ज्ञान-दर्शन जीव का स्वभाव है, तथा उनमें नियत अस्तित्व-मय अनिंदित चारित्र कहलाता है ।
अनन्य-मय, अप्रतिहत ज्ञान-दर्शन जीव का स्वभाव है, तथा उनमें नियत अस्तित्व-मय अनिंदित चारित्र कहलाता है ।