GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 161 - अर्थ
From जैनकोष
जिससे सबको जानता और देखता है, उससे वह सौख्य का अनुभव करता है ऐसा जानता है वह भव्य है, अभव्य जीव इसका श्रद्धान नहीं करते हैं ।
जिससे सबको जानता और देखता है, उससे वह सौख्य का अनुभव करता है ऐसा जानता है वह भव्य है, अभव्य जीव इसका श्रद्धान नहीं करते हैं ।