GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 53 - अर्थ
From जैनकोष
इसप्रकार जीव के सत का विनाश और असत का उत्पाद होता है; ऐसा परस्पर विरुद्ध होने पर भी अविरुद्ध स्वरूप जिनवरों ने कहा है ।
इसप्रकार जीव के सत का विनाश और असत का उत्पाद होता है; ऐसा परस्पर विरुद्ध होने पर भी अविरुद्ध स्वरूप जिनवरों ने कहा है ।