GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 55 - अर्थ
From जैनकोष
उदय, उपशम, क्षय, इन दोनों के मिश्र / क्षयोपशम और परिणाम से सहित वे जीव के गुण अनेक शास्त्रों में विस्तार से वर्णित हैं ।
उदय, उपशम, क्षय, इन दोनों के मिश्र / क्षयोपशम और परिणाम से सहित वे जीव के गुण अनेक शास्त्रों में विस्तार से वर्णित हैं ।