GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 60 - समय-व्याख्या - हिंदी
From जैनकोष
निश्चय से जीव को अपने भावों का कर्तृत्व है और पुद्गल-कर्मों का अकर्तृत्व है ऐसा यहाँ आगम द्वारा दर्शाया गया है ॥६०॥
निश्चय से जीव को अपने भावों का कर्तृत्व है और पुद्गल-कर्मों का अकर्तृत्व है ऐसा यहाँ आगम द्वारा दर्शाया गया है ॥६०॥