GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 74 - समय-व्याख्या - हिंदी
From जैनकोष
यह, पुद्गल भेदों का वर्णन है ।
अननतानन्त परमाणुओं से निर्मित होने पर भी जो एक हो वह स्कन्ध नाम की पर्याय है; इसकी आधी स्कन्ध-देश नामक पर्याय है; आधी की आधी स्कन्ध-प्रदेश नाम की पर्याय है । इस प्रकार भेद के कारण (पृथक होने के कारण) द्विअणुक स्कन्ध-पर्यन्त अनन्त स्कन्ध-प्रदेश-रूप पर्यायें होती हैं । निर्विभाग / एक-प्रदेश-वाला, स्कन्ध का अंतिम अंश, वह एक परमाणु है । (इस प्रकार भेद से होने-वाले पुद्गल-विकल्पों का वर्णन हुआ ।)
पुनश्च, दो परमाणुओं के संघात से (मिलने से) एक द्विअणुक-स्कन्ध-रूप पर्याय होती है । इस प्रकार संघात के कारण (द्विअणुक-स्कन्ध की भाँति त्रिअणुक-स्कन्ध, चतुरणुक-स्कन्ध इत्यादि) अनन्त स्कन्ध-रूप पर्यायें होती है । (इस प्रकार भेद-संघात से होने-वाले पुद्गल-विकल्प का वर्णन हुआ) ॥७४॥