GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 75.1 - अर्थ
From जैनकोष
पृथ्वी,जल, छाया, (चक्षु इन्द्रिय को छाे़डकर शेष) चार इन्द्रिय के विषय, कर्म प्रायोग्य और कर्मातीत-इसप्रकार पुद्गल के छह भेद हैं।
पृथ्वी,जल, छाया, (चक्षु इन्द्रिय को छाे़डकर शेष) चार इन्द्रिय के विषय, कर्म प्रायोग्य और कर्मातीत-इसप्रकार पुद्गल के छह भेद हैं।