GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 93 - अर्थ
From जैनकोष
यदि आकाश उनके (जीव-पुद्गलों के ) गमन का हेतु और स्थिति का हेतु हो तो अलोक की हानि और लोक के अन्त की परिवृद्धि (सब ओर से वृद्धि) का प्रसंग आएगा।
यदि आकाश उनके (जीव-पुद्गलों के ) गमन का हेतु और स्थिति का हेतु हो तो अलोक की हानि और लोक के अन्त की परिवृद्धि (सब ओर से वृद्धि) का प्रसंग आएगा।