GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 94 - समय-व्याख्या
From जैनकोष
आकाशस्य गतिस्थितिहेतुत्वनिरासव्याख्योपसंहारोऽयम् ।
धर्माधर्मावेव गतिस्थितिकारणे नाकाशमिति ॥९४॥
आकाशस्य गतिस्थितिहेतुत्वनिरासव्याख्योपसंहारोऽयम् ।
धर्माधर्मावेव गतिस्थितिकारणे नाकाशमिति ॥९४॥