प्यारी लागै म्हाने जिन छवि थारी: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: प्यारी लागै म्हाने जिन छवि थारी ।।टेक ।।<br> परम निराकुलपद दरसावत, वर विरा...) |
(No difference)
|
Revision as of 06:16, 10 February 2008
प्यारी लागै म्हाने जिन छवि थारी ।।टेक ।।
परम निराकुलपद दरसावत, वर विरागताकारी ।
पट भूषन बिन पै सुन्दरता, सुरनरमुनिमनहारी ।।१ ।।
जाहि विलोकत भवि निज निधि लहि, चिरविभावता टारी ।
निरनिमेषतैं देख सचीपती, सुरता सफल विचारी ।।२ ।।
महिमा अकथ होत लख ताकी, पशु सम समकितधारी ।
`दौलत' रहो ताहि निरखनकी, भव भव टेव हमारी ।।३ ।।