कौन काम अब मैंने कीनों, लीनों सुर अवतार हो: Difference between revisions
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कौन काम अब मैंने कीनों, लीनों सुर अवतार हो
गृह तजि गहे महाव्रत शिवहित, विफल फल्यो आचार हो।।कौन. ।।१ ।।
संयम शील ध्यान तप क्षय भयो, अव्रत विषय दुखकार हो।।कौन.।।२ ।।
`द्यानत' कब यह थिति पूरी ह्वै, लहों मुकतपद सार हो ।।कौन.।।३ ।।